।।मुझे बदल कर क्यूँ बदल गए।। मुझे गम से ऐसे,उबारा था उसने। बुराई में मुझको,सवारा था उसने।। नही भूलता हु,कभी भी मैं वो पल। जो संग में लम्हा,गुज़ारा था उसने।। बुराई में मुझको,सवारा था उसने।। जो कभी देखता था,हूँ तकलीफ में तो। हंसी इन लबो पे,वो लाता था हरदम।। अपनी खुसी की ना,कभी भी फिकर की। यूँ बुलाने पे मेरे,वो आता था हरदम।। कभी भी कोई जो,पड़ी मुझपे मुश्किल। दिया मुझको बस,सहारा था उसने। बुराई में मुझको,सवारा था उसने।। हुई क्या खता,मुझसे खफा हो गए जो। बिना कुछ कहे,लापता हो गए वो।। तड़पता रहा हूँ,हाय मैं जिनके खातिर। ना जाने क्यूँ ऐसी,सज़ा हो गए वो।। इतना बुरा मैं हाय,क्यूँ हो गया था। नही सुन सका जब,पुकारा था उसने। बुराई में मुझको,सवारा था उसने।। ©Anand Singh Paliwal #Mujhe #badal #Kar #Kyun #badal #Gaye