मेरे होने न होने से अगर कुछ फर्क पड़ता है तो मैं समझूंगा दुनिया में मेरा होना ज़रूरी है। मेरा ग़म मेरे अपनों के होंठों को हंसी जो दे, तो मैं समझूंगा जीवन भर मेरा रोना ज़रुरी है। मेरे होने से मेरे अपनों की दुनिया न रंगीं हो, तो फिर अपनों की गिनती से मेरा खोना ज़रूरी है। मेरे होने से डूबा हो जो हर कोई उदासी में, तो उनके वास्ते उनसे जुदा होना ज़रूरी है। रिपुदमन झा 'पिनाकी' धनबाद (झारखण्ड) स्वरचित एवं मौलिक ©Ripudaman Jha Pinaki #जरूरी_है