मुक्तक :-
करके सुख की चाह , लुटेरा मत बन जाना ।
करके प्रभु का ध्यान , सहारा बनकर आना ।।
दीनों को हो आस , तुम्हारे ही कुनबे से -
पथ में उनके आज , फूल बनकर बिछ जाना ।।
कष्ट सभी हो दूर , सताना मत अब दुर्बल ।
बहे नैन से गंग , करे मन पावन निर्मल ।। #कविता