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जीवन में व्यक्ति तभी सुखी रह पाएगा जब उसके पास संत

जीवन में व्यक्ति तभी सुखी रह पाएगा जब उसके पास संतोष और आनंद होगा। संतोष और आनंद उसके जीवन में तभी आ पाएगा जब उसके पास मित्र हों, कुछ ऐसे लोग हो जो उसे प्रेम दे सके, वो प्रेम उसे तभी मिल पाएगा। जब वो स्वयं किसी और को प्रेम देने योग्य हो। स्वयं की आवश्यकताओं को स्वयं पूर्ण करने योग्य हो। वो स्वयं की आवश्यकताओं की पूर्ति तभी कर पाएगा जब उसके पास धन हो, धन अर्जित तभी कर पाएगा जब उसके पास कोई विद्या या कोई कला हो और ये ऐसे ही नहीं आती, समझे सर्वप्रथम आलस त्यागीय जिस भी क्षेत्र में आप हैं। पूरे निष्ठा से कर्म कीजिए। विद्या से संपन्न हो जाइए। तभी मिलेगा आपको सुख तभी मिलेगा आपको प्रेम और तभी एक मुस्कुराहट के साथ अपना जीवन व्यतीत कर पाएंगे।

राधे राधे

©Karan Mehra #krishnvani
जीवन में व्यक्ति तभी सुखी रह पाएगा जब उसके पास संतोष और आनंद होगा। संतोष और आनंद उसके जीवन में तभी आ पाएगा जब उसके पास मित्र हों, कुछ ऐसे लोग हो जो उसे प्रेम दे सके, वो प्रेम उसे तभी मिल पाएगा। जब वो स्वयं किसी और को प्रेम देने योग्य हो। स्वयं की आवश्यकताओं को स्वयं पूर्ण करने योग्य हो। वो स्वयं की आवश्यकताओं की पूर्ति तभी कर पाएगा जब उसके पास धन हो, धन अर्जित तभी कर पाएगा जब उसके पास कोई विद्या या कोई कला हो और ये ऐसे ही नहीं आती, समझे सर्वप्रथम आलस त्यागीय जिस भी क्षेत्र में आप हैं। पूरे निष्ठा से कर्म कीजिए। विद्या से संपन्न हो जाइए। तभी मिलेगा आपको सुख तभी मिलेगा आपको प्रेम और तभी एक मुस्कुराहट के साथ अपना जीवन व्यतीत कर पाएंगे।

राधे राधे

©Karan Mehra #krishnvani