हर हाल में कश्ती साहिल पे लाना सीख इंसान कहता है ख़ुद को तो मुस्कुराना सीख.. हिम्मतों से हार जाते हैं तूफान बड़े बड़े ज़िंदगी हर लम्हा जिंदादिली से बिताना सीख.. हर वक़्त चार दीवारी में कैद रहता है क्यूँ मौका मिले तो दिलों में घर बनाना सीख.. नफरती आग में जल जायेगा एक दिन सुकून के वास्ते कहीं तो दिल लगाना सीख.. मेरे अश्क़ तेरे अश्क़ के इंतजार में हैं किसी के वास्ते कभी अश्क़ बहाना सीख.. क्या लाया ले जायेगा इस जहाँ से जो कमाया है इस जहाँ पे लुटाना सीख.. फिर तेरा आखिरी मुकाम मौत ही तो है जब तलक हैं ज़िंदगी हँसना हँसाना सीख.. ©अज्ञात #ज़िंदगी