रात का शौकीन हूँ क्योंकि मैं ख्वाब देखता हूँ, चकोर सी चाहत है दिल में महताब देखता हूँ, मायूसियों के साये में उम्मीदें अभी जिन्दा हैं, हर आब-ए-चश्म में नशा बेहिसाब देखता हूँ, कभी तो पूरा होगा जो ख़्वाब संजोया है मैंने, कली प्रेम की खिलकर बनते गुलाब देखता हूँ। 📌निचे दिए गए निर्देशों को अवश्य पढ़ें...🙏 💫Collab with रचना का सार...📖 🌄रचना का सार आप सभी कवियों एवं कवयित्रियों को प्रतियोगिता:-28 में स्वागत करता है..🙏🙏 *आप सभी 6 पंक्तियों में अपनी रचना लिखें। नियम एवं शर्तों के अनुसार चयनित किया जाएगा। 💫 प्रतियोगिता ¥28:- रात का शौकीन हूँ