दोहा :- अंतिम साँसों तक सुनो , बँधी रहेगी गाठ । वह पल चाहे आज हो , या हो जाये साठ ।। गिरधर खुशियों की कभी, राह न करना बंद । जीवन भर लेते रहें , हम जीवन आनंद ।। जीवन भर आनंद लें , जीवन साथी संग । दिवस यही विवाह का , सदा खिलाएं रंग शुभकामना विवाह की , देते है सब लोग । निशिदिन खुशियों का सदा , बना रहे ये योग ।। वैवाहिक शुभकामना , करिये आप काबूल । दिन खुशियों के नित मिले , राह बिछे हो फूल ।। मान अनुज अपना मुझे , रखो सदा ही ध्यान । यही विनय करता प्रखर , पाकर तुमसे ज्ञान ।। ०८/०२/२०२४ महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR अंतिम साँसों तक सुनो , बँधी रहेगी गाठ । वह पल चाहे आज हो , या हो जाये साठ ।। गिरधर खुशियों की कभी, राह न करना बंद । जीवन भर लेते रहें , हम जीवन आनंद ।।