कर्म का अंबार (अनुशीर्षक में पढ़ें) कर्म का अंबार इन हाथों में, जो लकीरें हैं, वो बदलती हैं रहतीं हर लकीर हमारी, हमसे कुछ है कहती बदलती ये रेखाएँ,