बुझे बुझे से है चराँग ए दिल फिर से जलायें कैसे धड़कनों में रवां है मायूसियाँ फसल ए गुल खिजा़ में बताओ न ए दोस्त उगा ले कैसे भागते लम्हों को ,थाम लूँ मै कैसे ? ©Pravesh Sharma #8LinePoetry