रोज़ रोज़ मिटते है, फिर भी ख़ाक न हुए तेरे इश्क़ के आँच में रोज तपते थे पर भाप न हुए, कोई उसे बता दे कि हम बर्बाद भी ना हुए तो आबाद भी नहीं हुए।। -shishram #मिटना