केसा गुरुर तुझमें जो तू हर बात पर लड़े सुपुर्दे खाक हो चुके हैं यहां शहंशाह बड़े बड़े मेरी जमीन मेरा मकान ये सब उम्र भर किया साथ कुछ न गया जो पाने जीवन भर रहे अड़े सुपुर्दे खाक हो चुके हैं यहां शहंशाह बड़े बड़े मै हिंदू मैं मुस्लिम मैं सिक्ख मैं ईसाई ताउम्र इन्ही मसलों में बुंदेला उलझे रहे पड़े सुपुर्दे खाक हो चुके हैं यहां शहंशाह बड़े बड़े समय के गर्त में समा गए यहां सितारे कई ऐसे जो आसमां की बुलंदियों पर थे कभी अडिग खड़े सुपुर्दे खाक हो चुके हैं यहां शहंशाह बड़े बड़े चार दिन का जीवन बुंदेला मुस्कुरा के जी लो टूट गए वो सपने जो कभी परवान थे चढ़े सुपुर्दे खाक हो चुके हैं यहां शहंशाह बड़े बड़े #बुंदेला