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बड़े बड़े किताबो के पन्नो की भाषा  ही क्या सबकुछ ब

बड़े बड़े किताबो के पन्नो की भाषा 
ही क्या सबकुछ बतलाती है?
अगर हा तो फिर पढ़े लिखे साहबो की 
दुनिया पल भर में क्यों बिखर जाती है?

महंगे रंग बिरंगे कपड़े,अधलुप्त भाषा 
क्या यही है मनुष्य की परिभाषा?
अगर नही तो फिर क्यों भाता नही आम भाषा
 दूर दिखता क्यों सादगी से नाता?

©लेखक ओझा #जीवनआइना तथ्य कुछ जो अनसुलझे है,तथ्य जो कुछ समझे जाते है।
#Books
बड़े बड़े किताबो के पन्नो की भाषा 
ही क्या सबकुछ बतलाती है?
अगर हा तो फिर पढ़े लिखे साहबो की 
दुनिया पल भर में क्यों बिखर जाती है?

महंगे रंग बिरंगे कपड़े,अधलुप्त भाषा 
क्या यही है मनुष्य की परिभाषा?
अगर नही तो फिर क्यों भाता नही आम भाषा
 दूर दिखता क्यों सादगी से नाता?

©लेखक ओझा #जीवनआइना तथ्य कुछ जो अनसुलझे है,तथ्य जो कुछ समझे जाते है।
#Books