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मुद्दतों से उसके दीदार का आरज़ू लिए बैठा हूँ, मैं अ

मुद्दतों से उसके दीदार का आरज़ू लिए बैठा हूँ,
मैं अपना घर-बार और यार को भूल बैठा हूँ,
अब तो मुफ़लिस होने के कगार पर भी आ चुका हूँ,
फिर भी उसे पाने की ज़िद्द में मौत से भी अपने लिए चंद सांसें और उधार लिए बैठा हूँ ।

©Avinash Lal Das #मुद्दतों से#
मुद्दतों से उसके दीदार का आरज़ू लिए बैठा हूँ,
मैं अपना घर-बार और यार को भूल बैठा हूँ,
अब तो मुफ़लिस होने के कगार पर भी आ चुका हूँ,
फिर भी उसे पाने की ज़िद्द में मौत से भी अपने लिए चंद सांसें और उधार लिए बैठा हूँ ।

©Avinash Lal Das #मुद्दतों से#