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इतना संगीन पाप कौन करे मेरे दुःख पर विलाप कौन करे.

इतना संगीन पाप कौन करे
मेरे दुःख पर विलाप कौन करे...

चेतना मर चुकी लोगों की
पाप पर पश्चाताप कौन करे 

पुण्य कमाने हैं सबको मगर
घंटों बैठकर जाप कौन करे

मंहगे बहुत हैं आजकल के रिस्ते
छोड़ो रिस्तों का व्यापार कौन करे 

इतना संगीन पाप कौन करे
मेरे दुःख पर विलाप कौन करे...

दर्द तो बहुत होता है बिछड़ने में
आंखें दो ही अच्छी है आंखें चार कौन करे 

हंसकर चेहरे पर दर्द लाख छुपाए हैं
हंसते हुए विलाप कौन करे 

करना तो बहुत चाहते हैं गुफ्तगू
दोनों चुप बैठे हैं शुरूआत कौन करे 

इतना संगीन पाप कौन करे
मेरे दुःख पर विलाप कौन करे

©अनुषी का पिटारा..
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