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गीत :- 1222×4 तुम्हें फिर से सजायेंगे ,सुनों इस बा

गीत :- 1222×4
तुम्हें फिर से सजायेंगे ,सुनों इस बार सावन में ।
नई दुल्हन बनायेंगे , तुम्हें इस बार सावन में ।।
तुम्हें फिर से सजायेंगे.....

वही फिर माँग का टीका , वही फिर पाँव में पायल ।
यही शृंगार तेरा तो , करे मन को सदा घायल ।।
हमारी साँस है कहती , बसो तुम आज धड़कन में ।
तुम्हें फिर से सजायेंगे.....

शिवा से माँग कर लाया , जिसे मैं हूँ दुआओं में ।
चलूँगा संग मैं तेरे , सुनो अब इन हवाओं में ।।
बहक जाऊँ न मैं पाकर , तुम्हें मैं आज आँगन में ।
तुम्हें फिर से सजायेंगे .....

तुम्हें पाकर खुशी इतनी  बयाँ मैं कर नहीं सकता ।
अधर से मैं हँसी अपनी , जुदा भी कर नहीं सकता ।।
किसी को क्या बताऊँ मैं , कि तुम क्या आज जीवन में ।
तुम्हें फिर से सजायेंगे ....

अधर पे जो तुम्हारे है ,  वही है रक्त सीने में ।
मजा ही आ गया है अब , तुम्हारे संग जीने में ।।
मुझे अब साफ़ दिखती है , नहीं अब राह अड़चन में ।
तुम्हें फिर से सजायेंगे .....

तुम्हें फिर से सजायेंगे , सुनो इस बार सावन में ।
नई दुल्हन बनायेंगें , तुम्हें इस बार सावन में ।।

०४/०७/२०२३    -    महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR गीत :- 1222×4
तुम्हें फिर से सजायेंगे ,सुनों इस बार सावन में ।
नई दुल्हन बनायेंगे , तुम्हें इस बार सावन में ।।
तुम्हें फिर से सजायेंगे.....

वही फिर माँग का टीका , वही फिर पाँव में पायल ।
यही शृंगार तेरा तो , करे मन को सदा घायल ।।
हमारी साँस है कहती , बसो तुम आज धड़कन में ।
गीत :- 1222×4
तुम्हें फिर से सजायेंगे ,सुनों इस बार सावन में ।
नई दुल्हन बनायेंगे , तुम्हें इस बार सावन में ।।
तुम्हें फिर से सजायेंगे.....

वही फिर माँग का टीका , वही फिर पाँव में पायल ।
यही शृंगार तेरा तो , करे मन को सदा घायल ।।
हमारी साँस है कहती , बसो तुम आज धड़कन में ।
तुम्हें फिर से सजायेंगे.....

शिवा से माँग कर लाया , जिसे मैं हूँ दुआओं में ।
चलूँगा संग मैं तेरे , सुनो अब इन हवाओं में ।।
बहक जाऊँ न मैं पाकर , तुम्हें मैं आज आँगन में ।
तुम्हें फिर से सजायेंगे .....

तुम्हें पाकर खुशी इतनी  बयाँ मैं कर नहीं सकता ।
अधर से मैं हँसी अपनी , जुदा भी कर नहीं सकता ।।
किसी को क्या बताऊँ मैं , कि तुम क्या आज जीवन में ।
तुम्हें फिर से सजायेंगे ....

अधर पे जो तुम्हारे है ,  वही है रक्त सीने में ।
मजा ही आ गया है अब , तुम्हारे संग जीने में ।।
मुझे अब साफ़ दिखती है , नहीं अब राह अड़चन में ।
तुम्हें फिर से सजायेंगे .....

तुम्हें फिर से सजायेंगे , सुनो इस बार सावन में ।
नई दुल्हन बनायेंगें , तुम्हें इस बार सावन में ।।

०४/०७/२०२३    -    महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR गीत :- 1222×4
तुम्हें फिर से सजायेंगे ,सुनों इस बार सावन में ।
नई दुल्हन बनायेंगे , तुम्हें इस बार सावन में ।।
तुम्हें फिर से सजायेंगे.....

वही फिर माँग का टीका , वही फिर पाँव में पायल ।
यही शृंगार तेरा तो , करे मन को सदा घायल ।।
हमारी साँस है कहती , बसो तुम आज धड़कन में ।

गीत :- 1222×4 तुम्हें फिर से सजायेंगे ,सुनों इस बार सावन में । नई दुल्हन बनायेंगे , तुम्हें इस बार सावन में ।। तुम्हें फिर से सजायेंगे..... वही फिर माँग का टीका , वही फिर पाँव में पायल । यही शृंगार तेरा तो , करे मन को सदा घायल ।। हमारी साँस है कहती , बसो तुम आज धड़कन में । #कविता