गीत :- 1222×4
तुम्हें फिर से सजायेंगे ,सुनों इस बार सावन में ।
नई दुल्हन बनायेंगे , तुम्हें इस बार सावन में ।।
तुम्हें फिर से सजायेंगे.....
वही फिर माँग का टीका , वही फिर पाँव में पायल ।
यही शृंगार तेरा तो , करे मन को सदा घायल ।।
हमारी साँस है कहती , बसो तुम आज धड़कन में । #कविता