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कर लेते हैं कभी कभी। ज़ज्बातों की आड़ में आहें भर

कर लेते हैं कभी कभी।
ज़ज्बातों की आड़ में आहें भर लेते हैं कभी कभी।।
कभी तुम्हारे नाम से धड़कन शोर मचाए रातों में,
रोक ना पाऊं चाह के, अश्कों की बारातें कभी-कभी।।
भीतर का श़ोर समझने में अब लब्ज़ मेरे ख़ामोश हुए,
ख़ामोशी के ज़ख़्म को मरहम ना भर पाए कभी-कभी।।
कभी स़हर सी कभी ज़हर सी इश्क़ मोहब्बत की रश़्में,
रश़्म रिवाज़ो की दुनिया है दर्द दुख़ाए कभी-कभी।।

©Samvedita
  कभी कभी
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#शायरी❤️से 
#मेरी_कलम_से✍️

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