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वो ------ माथे पर तेज की कश्ती उसकी आंखों में मस्

वो
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माथे पर तेज की कश्ती उसकी आंखों में मस्ती वो होंटों से हँसती दिल की धड़कन में बस्ती

ख़ुदा की कारीगरी से तराशा हुआ जिस्म उसकी ख़ुशबू मदिरा सी नशीली आगोश में ले तो मदहोश कर दे लब जो चूमे तो रूह को छू ले

अश्कों की बूंदों से हर तमस को ओझल कर दे अपनापन सा स्पर्श तन्हाई को महफ़िल कर दे

मनीष राज

©Manish Raaj
  #वो
manishraaj9056

Manish Raaj

New Creator

वो #कविता

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