वो भले ही मुस्लिम है, भले ही मैं हूँ हिन्दू मेरी ज़िन्दगी में है ही नही वो जात-पात और मजहब का बिंदु दुनिया वाले कुछ भी सोचे पर इस बात में सच्चाई है मेरा जात-मजहब से नाता नही वो दोस्त नहीं, मेरा भाई है बात भले ही कैसी हो वो सबसे पहले मुझे बताता है हमारा रिस्ता दोस्ती का नही हमारा भाईचारे का नाता है यूँ तो दिवाली उसने मेरे संग मेरे घर बनाई है हाँ ईद पर मैंने भी उसके घर खीर खाई है वो दोस्त नहीं, मेरा भाई है और मजहब हमारा कुछ नही हमारा भाईचारे का नाता है उसने मंदिर में संग मेरे आरती की है मैंने संग उसके दरगाह में चादर चढ़ाई है ये ज़माना कुछ भी सोचे पर वो दोस्त नही, मेरा भाई है Title:vo dost nahi mera bhai h . . . . . . .