मैं और मेरी तन्हाई अक्सर ये सोचती है कि .... दर्द से आह उठी तो जाना कोई कुरेदता रहा मेरे जख्म को हरदम पर वक़्त सब्र का मरहम देकर उस ज़ख्म को यू भरता रहा रास्ते वीरान रहे पर मै यूँ ही चलता रहा दर्द तो रूह मे था और मै दिल को कोसता रहा ©Er. Narendra Mahi #raindrops chandra_the_unique Samitaroy