तुम उसे किसलिए बस रात की बात कहते हो। व्यर्थ क्यों बात को बेकार में भटकाते हो।। जुड़ गया उन लम्हों से किसी का जीवन । तुम उसे रात की बात कहके टाल जाते हो।। जो भी हो कोख में वो मेरा है तुम्हारा है । उगता सूरज है अपना चांद तारा है ।। ©bhishma pratap singh #रात की बात#हिन्दी कविता #काव्य संकलन#भीष्म भीष्म प्रताप सिंह #लवस्टोरी