‘मैं बैठा हूँ ऊँची इमारतों के सक़फ़ पर, सियाह रातों में, जब सब शून्य सा शांत हो | हवा की खामोशी कहती हो कि तुम बिल्कुल एकांत हो | उस पल में तुम्हारी रूह में मिलावट की कमी होगी, ग़र सोचने के काबिल हो तो आँखों में नमी होगी | तुम पाओगे की आज मशहुरीयत माशूक़ नहीं, तुम्हारी ख़ासियत भी वक्त की मौक़ूफ रही | ये वहम है कि शोर का ये इश्क़ टूटेगा नहीं, सियाह रातों में जो एक बाम पर तुम बैठे ही नहीं |’ बाम | 🌈 #yourquotebaba #yourquotedidi #yourquote #yqhindi #yqpoetry #rakshism