एक ख्वाव सजाया था मैंने आंखों की अधूरी कस्ती पर । मै सोया था इश्क मुकम्मल को ,बिखरा तेरे दहलीज़ की रंगत पर । बो सलवटे तेरी बंद आंखों की अशुओ की तासीर पर थी ,है हकीकत तेरा मुकर जाना ,जो इनायत तेरी सरेआम थी। ये मंज़र मौत के करीब से सफर कर रहा था । मैने यकीनन मोहब्बत का सोख पाल रखा था । ख्वाबो की दुनिया ।