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एक ख्वाव सजाया था मैंने आंखों की अधूरी कस्ती पर ।

एक ख्वाव सजाया था मैंने आंखों की अधूरी कस्ती पर ।
मै सोया था इश्क मुकम्मल को ,बिखरा तेरे दहलीज़ की रंगत पर ।
बो सलवटे तेरी बंद आंखों की अशुओ की तासीर पर थी ,है हकीकत तेरा मुकर जाना ,जो इनायत तेरी सरेआम थी।
ये मंज़र मौत के करीब से सफर कर रहा था ।
मैने यकीनन मोहब्बत का सोख पाल रखा था । ख्वाबो की दुनिया ।
एक ख्वाव सजाया था मैंने आंखों की अधूरी कस्ती पर ।
मै सोया था इश्क मुकम्मल को ,बिखरा तेरे दहलीज़ की रंगत पर ।
बो सलवटे तेरी बंद आंखों की अशुओ की तासीर पर थी ,है हकीकत तेरा मुकर जाना ,जो इनायत तेरी सरेआम थी।
ये मंज़र मौत के करीब से सफर कर रहा था ।
मैने यकीनन मोहब्बत का सोख पाल रखा था । ख्वाबो की दुनिया ।

ख्वाबो की दुनिया । #शायरी