एक मां की दो बेटियां थीं. एक थी संस्कारी और दूसरी थी विद्रोही. मां ने सोचा कि विरासत में उन्हें क्या दूं? एक तरफ़ मां के हज़ार टूटे सपने थे और दूसरी तरफ़ था उसके जीवन भर के अनुभवों का निचोड़. तो बहुत सोचने-विचारने के बाद मां एक निष्कर्ष पर पहुंची. एक की झोली में उसने लक्ष्मी रखी और दूसरे को दी सरस्वती. यानी एक ने पाया उन सपनों के पूरा होने का वरदान और दूसरे ने पाया अनमोल ज्ञान. मां को पितृसत्ता से बैर नहीं बस अपनी क़िस्मत से रंज था. सारी उम्र पति की मुहब्बत को तरसती रहीं. इसलिए पहली को दिया पति प्रेम का आशीर्वाद और दूसरी से कहा कि तुम मोहब्बत को भूल जाओ और पहले सहनशील होना सीख जाओ. स्त्री हो तो स्त्री को दुःख पाना ही होगा, मोहब्बत पाने के लिए खुद को पददलित करना ही होगा. कुछ इस तरह मां ने अपना कर्त्तव्य पूरा किया. पितृसत्ता की चौकीदारी के लिए अपनी एक बेटी को थानेदार नियुक्त किया और दूसरी को उसका मुजरिम घोषित किया. अब मां भी संतुष्ट है और दोनों बेटियां अपनी अपनी जिंदगियों में ठीक-ठाक व्यस्त हैं. बड़ी बेटी अपनी भूमिका के साथ बेहद खुश है और दूसरी पितृसत्ता से लड़-लड़कर बुरी तरह पस्त है. और पितृसत्ता.. वो तो मदमस्त है. #YQbaba #YQdidi #पितृसत्ता #मां #पितृसत्ता_की_पहरेदार