तुझको मैं किसकी पनाहों में रखूँ दिल में रखूँ या निगाहों में रखूँ यूँ तेरा आसान मैं कर दूँ सफ़र सर पे छतरी फूल राहों में रखूँ बाँट दूँ दरिया दिली से हर ख़ुशी दर्द को अब क़ैद बाहों में रखूँ चाँदनी मुझको इज़ाज़त दे अगर चाँद की चाहत निगाहों में रखूँ दिल बड़ा रख्खे जो सब के वास्ते क्यूँ न उसको बादशाहों में रखूँ जो ख़ता मासूम बच्चे से हुई उसको भी क्या मैं गुनाहों में रखूँ पीठ पीछे वार जो करने लगे उसको कैसे ख़ैर-ख़्वाहों में रखूँ: #RDV19 #ghazal #ग़ज़ल #पल्लवीमिश्रा #कविता #शायरी