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मुक्तक:- बेवज़ह हम किसी को नहीं छेड़ते। बदज़ुबानी

मुक्तक:-

बेवज़ह  हम  किसी को नहीं छेड़ते।
बदज़ुबानी   किसी की नहीं झेलते।।
रंग  में  प्यार के जब से तुम ने रँगा ।
हम किसी से भी होली नहीं खेलते।।


सुखवीर 'शिखर'

©Kavi Sukhveer Shikhar
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