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लब जब ख़ामोश रह जाएं ,हाल-ए-दिल बयाँ न हो पाए, तो

 लब जब ख़ामोश रह जाएं ,हाल-ए-दिल बयाँ न हो पाए,
तो  निगाहों  को  बोलने  दो , राज-ए-दिल   खोलने    दो,

निगाहें   ही    तो    होती  हैं    आईना  हर एक  सूरत का,
थोड़ा    सा    तो  मोहब्बतों   को , इन नज़रों से तौलने दो,

बयाँ  हो  जाती  है  मोहब्बत ,इन नज़रों की सरगोशियों से,
थोड़ा   सा   चाहत   का  शरबत , इन निगाहों में घोलने दो,

मिट   जाएगी    दिलों की बेक़रारी ,  बस बातों ही बातों में,
नजरों   की    तीख़ी   धार    से ,   दिलों    को  टटोलने दो,

लब   तो   हया   के   मारे   हैं ,  बस  ख़ामोश  ही रह जायेंगे,
हटा   दो    नज़र    से   पर्दा ,   दिलों  की गिरह खोलने दो ।।

-पूनम आत्रेय

©poonam atrey
  #निगाहोंकोबोलनेदो