'कभी किसी को मुकम्मल जहाँ नहीं मिलता कहीं ज़मीं तो कहीं आसमाँ नहीं मिलता जिसे भी देखिये वो अपने आप में गुम है ज़ुबां मिली है मगर हम-ज़ुबां नहीं मिलता बुझ सका है भला कौन वक्त के शोले ये ऐसी आग है जिसमें धुआं नहीं मिलता तेरे जहान में ऐसा नहीं कि प्यार न हो जहाँ उमीद हो इसकी वहाँ नहीं मिलता...' #Jahaan #NidaFazli