रास ना आया मुझे कुछ लोगों का बदल जाना इसलिए मैंने ये जिंदगी ही गमों के नाम कर दी । उसकी यादों में दिन निकला, उसकी यादों में रात हुई उसी की यादों में सुबह से शाम कर दी । एक अर्सा बीत गया मुझे मुस्कुराये हुए उसकी खुशी के लिए अपनी हसी तक नीलाम कर दी । उसको चाहना था जूनून मेरा, उसको पाना था जिद मेरी उसके ही इंतजार में ये जिंदगी तूफान कर दी । किये थे जहाँ मोहब्बत के वादे सुहानी सी वो गलियां एक पल में वीरान कर दी । इशारों में शुरू हुई थी जो इश्क की दास्तान एक खूबसूरत मोड पर लाकर ये तमाम कर दी । झूठा लगा था मेरा ये बेइंतहा प्यार उसे उसकी ये बात झूठ साबित करने के लिए आज उसके नाम अपनी ये जान कर दी ।। badal jaana