अरसे बाद इस घर ने अपनी गोदी में सुलाया हमने भी तसल्ली से हाँ में सर हिलाया एक वायरस ने मुझे खुद से मिलवाया खुदा भी ये काम हमसे ना करवा पाया जहाँ दौड़ती भागती दुनिया ने फँसा रखा था वहीं से इसने अपना जादू दिखालाया अपनी मर्ज़ी की मस्ती से इसी ने जगाया जिने की इस चाह ने सभी को घर बिठाया सालों की तमन्ना को आज आजमाया ख्वाबों के सवालों का हल घर को ही बतलाया बड़े मनमाने हो चले थे कई बरसों से आज इसी ने परिवारों को मिलवाया ©अर्पिता #वायरस