लम्हो की तितली की कहानियाँ मैं सुनता हूँ शब्दो का कारीगर हूँ शब्दो से तस्वीर बनाता हूँ आंखों में ला कर नमी थोड़ी गुनगुनी धूप में तेरे हाथो की उंगलियों से इंद्रधनुष बनाता हूँ हो न जाये मुझ को गुमां सिकंदर की तरह इसलिए मैं कभी शमशान की तरफ हो आता हूं तलब होती है मुझे जब भी तुम से मिलने की तेरी यादों को ओढ़ कर बादलो के पंख लगता हूँ कौन करेगा याद मुझको, खत मुझे लिखगे कौन खुद को मैं खत लिख कर,खुद ही पोस्ट कर आता हूँ सुबह होते ही सोचता हूं,आज से रब को याद करू मंदिर का बहाना कर, फिर तेरे घर की तरफ आता हूँ Collab karein iss sundar background aur apne shabdo ko titli ke jaise azaad karein. Font-Sahitya Size-10 #rzhinglish #rztitlihoon #yqrestzone #yqrz #yqdidi #collabwithrestzone #YourQuoteAndMine Collaborating with Rest Zone