उल्लू उल्लू बैठा हरी डाल पर देख रहा चहुँओर शांत शांत सा है वो लेकिन पक्षी मचाते शोर सोच रहा क्या मेरे अंदर नहीं है कोई खूबी या अवगुण के ही तलाश में सारी दुनिया डूबी मूर्खों की मुझसे तुलना कर लोग बहुत इतराते बात बात पर देते ताने मेरी हँसी उड़ाते कोई देख न सकता मुझ सा अंधेरी रातों में झूठ बोल मैं नहीं फँसाता लोगों को बातों में बेखुद सोच रहा लोगोँ की कब बदलेगी सोच ©Sunil Kumar Maurya Bekhud #उल्लू