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कविता की एक क्षुद्र सी पंक्ति भी महाकव्य बनने

कविता  की  एक क्षुद्र   सी
पंक्ति भी महाकव्य  बनने  का  दम रखती हैँ 
उनकेलिए
जो संवेदनाओ  की  स्पृहा  से  सदैव  
स्पंदित  रहते  हैँ 
जो  अतीत  की  दैदीत्यमान   गाथा को  भविष्य  से  जोड़  कर  देखते हैँ 
और  जी  मौन की    समृद्ध   ध्वनि  को भी  
सुन  सकने  मे  समर्थ  हैँ कविता  और  महाकाव्य......
कविता  की  एक क्षुद्र   सी
पंक्ति भी महाकव्य  बनने  का  दम रखती हैँ 
उनकेलिए
जो संवेदनाओ  की  स्पृहा  से  सदैव  
स्पंदित  रहते  हैँ 
जो  अतीत  की  दैदीत्यमान   गाथा को  भविष्य  से  जोड़  कर  देखते हैँ 
और  जी  मौन की    समृद्ध   ध्वनि  को भी  
सुन  सकने  मे  समर्थ  हैँ कविता  और  महाकाव्य......