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White रचना दिनांक20,, नवम्बर,,2024 वार बुधवार समय

White रचना दिनांक20,, नवम्बर,,2024
वार  बुधवार
समय सुबह पांच बजे
्््निज विचार ््
्््भावचित्र ्््
्््शीर्षक ्््
्््छाया चित्र में दिखाया गया रात्रि के साथ सुबह का काल परिवेश में,,
 उदयकाल का आभास ही सुन्दर छबि में दिखाई दे रहा है ्््

रचना संवरचनाकी में एक सुंदर वातावरण बना हुआ है जो सिर्फ त्वमेव विद्या से जन्मा विचार सच है,,
इष्ट मित्रों से जन्मा विचार सच है तो देश दुनिया खेल व्यापार जगत में एक जीवंत प्रयास किया गया है।
््््
।प्रिय मित्र मेरे लिए एक स्वपन आत्मप्रेम आत्मसाक्षात्कार ही आनंद है,, ,
और प्रेम अंजान अंजाम देने वाले आत्ममंथन की वो लफ्जो की मोहब्बत नजरें मिलाने में संसार में जगत की अनौखी किताब है।।
जो जीवन का कमंयोग आधार का वो लफ्जो का नूर और अमृत और विष का प्याला है,,
जो अंतिम सांस तक ताबूत में आखिरी सांस तक चलायमान है और मरघट तक रहता है।।
यह आग ज्वालामुखी बनकर दिलों चलती है ,,
और तूफान के ज्वार बनकर दिलों में समा जाती है।।
यही सच्चाई देखकर मुझे सीधे तौर तरीके लौकिक साहित्य और संस्कृति से बंधन और मुमकिन अथक प्रयास से ही सुन्दर प्रेम में अटूट आस्था निज विश्वास प्यार का पहला सवाल सबब बन कर तुझमें ऐसे समा गई ,,
तस्वीर मेरे तेरे ख्यालों की ना मैं तुम्हें खोज पाया ,ना तुम,,््््
,, जानो हम दोनों में नादान तो प्रेम ही हुआ ना,,
 यह पहेली बुझो तो जानें ््््
इसका आनंद ही जिंदगी है और जिन्दगीही आनंद है्््
 ्््भावचित्र ््
निज विचार ्््
्््््कवि शैलेंद्र आनंद ््
20नवम्बर 2024

©Shailendra Anand #sad_quotes  नये अच्छे विचार
्््््कवि शैलेंद्र आनंद
White रचना दिनांक20,, नवम्बर,,2024
वार  बुधवार
समय सुबह पांच बजे
्््निज विचार ््
्््भावचित्र ्््
्््शीर्षक ्््
्््छाया चित्र में दिखाया गया रात्रि के साथ सुबह का काल परिवेश में,,
 उदयकाल का आभास ही सुन्दर छबि में दिखाई दे रहा है ्््

रचना संवरचनाकी में एक सुंदर वातावरण बना हुआ है जो सिर्फ त्वमेव विद्या से जन्मा विचार सच है,,
इष्ट मित्रों से जन्मा विचार सच है तो देश दुनिया खेल व्यापार जगत में एक जीवंत प्रयास किया गया है।
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।प्रिय मित्र मेरे लिए एक स्वपन आत्मप्रेम आत्मसाक्षात्कार ही आनंद है,, ,
और प्रेम अंजान अंजाम देने वाले आत्ममंथन की वो लफ्जो की मोहब्बत नजरें मिलाने में संसार में जगत की अनौखी किताब है।।
जो जीवन का कमंयोग आधार का वो लफ्जो का नूर और अमृत और विष का प्याला है,,
जो अंतिम सांस तक ताबूत में आखिरी सांस तक चलायमान है और मरघट तक रहता है।।
यह आग ज्वालामुखी बनकर दिलों चलती है ,,
और तूफान के ज्वार बनकर दिलों में समा जाती है।।
यही सच्चाई देखकर मुझे सीधे तौर तरीके लौकिक साहित्य और संस्कृति से बंधन और मुमकिन अथक प्रयास से ही सुन्दर प्रेम में अटूट आस्था निज विश्वास प्यार का पहला सवाल सबब बन कर तुझमें ऐसे समा गई ,,
तस्वीर मेरे तेरे ख्यालों की ना मैं तुम्हें खोज पाया ,ना तुम,,््््
,, जानो हम दोनों में नादान तो प्रेम ही हुआ ना,,
 यह पहेली बुझो तो जानें ््््
इसका आनंद ही जिंदगी है और जिन्दगीही आनंद है्््
 ्््भावचित्र ््
निज विचार ्््
्््््कवि शैलेंद्र आनंद ््
20नवम्बर 2024

©Shailendra Anand #sad_quotes  नये अच्छे विचार
्््््कवि शैलेंद्र आनंद