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मै बुझी जा रही हूँ और शहर है कि मुझमें आग पानी ब

मै बुझी जा रही हूँ 
और शहर है कि मुझमें 
आग पानी बन दहक रहा है 

अजीब अजाब है जिंदगी का

फिर से एक मौत 
फिर रिहाई

कमज़र्फ है सारी खुदाई 

उफ्फ ! ये शब्दों के कहर 

बड़ी गुस्ताख़ हूँ मै....!

©चाँदनी #Isolation
मै बुझी जा रही हूँ 
और शहर है कि मुझमें 
आग पानी बन दहक रहा है 

अजीब अजाब है जिंदगी का

फिर से एक मौत 
फिर रिहाई

कमज़र्फ है सारी खुदाई 

उफ्फ ! ये शब्दों के कहर 

बड़ी गुस्ताख़ हूँ मै....!

©चाँदनी #Isolation