लेकर के मुरली हाथ में,
हे मुरलीधर साथ में,
वृन्दावन से दूर थोड़ी, बिरज की बाट में,
घर है तुम्हारा भी यहाँ, माधव हमारे गात में!
भूल जाऊं सुरति, निज ज्ञान की छोड़ो ध्यान की
उस से पहले आ मिलो, प्राणाधार, सुत देवकी
डूब जाऊं भय से आगे उस से पहले,
डगमगा जाये ये नौका बस उस से पहले, #yqdidi#yqhindi#yqquotes#yqpoetry#yqkrishna