Nojoto: Largest Storytelling Platform

यस्तु संचरते देशान्, यस्तु सेवेत पण्डितान् तस्य व

यस्तु संचरते देशान्, यस्तु सेवेत पण्डितान्

तस्य विस्तारिता बुद्धिस्तैलबिन्दुरिवाम्भसि।।

भिन्न देशों में यात्रा करने वाले और विद्वानों के साथ संबंध रखने वाले व्यक्ति की बुद्धि उसी तरह बढ़ती है, जैसे तेल एक बूंद पानी में फैलती है।

संस्कृतं मम जीवनध्येयम् #संस्कृत #संगीत #संघर्ष #संस्कृति
यस्तु संचरते देशान्, यस्तु सेवेत पण्डितान्

तस्य विस्तारिता बुद्धिस्तैलबिन्दुरिवाम्भसि।।

भिन्न देशों में यात्रा करने वाले और विद्वानों के साथ संबंध रखने वाले व्यक्ति की बुद्धि उसी तरह बढ़ती है, जैसे तेल एक बूंद पानी में फैलती है।

संस्कृतं मम जीवनध्येयम् #संस्कृत #संगीत #संघर्ष #संस्कृति