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एक दौर ज़ब वो अहम हिस्सा था जीवन का उस आईने से अब

एक दौर ज़ब वो अहम हिस्सा था जीवन का 
उस आईने से अब हर वक्त घबराने लगे हैं 
आत्मविश्वास बढ़ता उससे मिलकर 
मिलने से उसे अब हम कतराने लगे हैं 
हर पहर जिससे मिलना साँसों की तरह था 
अब उससे धड़कनों को अपनी बचाने लगे हैं 
बदलना रूप रंग का ढलना उम्र का यही चक्र है जीवन का 
अपनाता चल बदलती रुत को और बेफिक्र बढ़ता चल 
ऐसी बातों से अब ये आईने हमें बहलाने लगे हैं 
अनुभव मिलेंगे परिपक्वता बढ़ेगी 
नयी डगर नयी दिशा मिलेगी  
मत उलझ इन क्षणिक खुशियों में 
लहरों की तरह निस्वार्थ बस बहता चल 
एक सच्चे साथी की तरह 
ये आईने सच जीवन का अब हमें समझाने लगे हैं.......


सारिका जोशी नौटियाल "सारा"

©Sarika Joshi Nautiyal
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