रुकी हुई सांसो से भीगी हुई आँखों से टूटते हुए शब्दों से बहकते हुए जज़्बातों से सुलगते हुए अरमानो से लड़खड़ाती हुयी आवाज़ से भीतर सुलगते शोर से डूबते हुए सूरज से ठहरे हुए पानी से थमे हुए तूफान से जब भी कानों से टकरायी है कोई आवाज़ तो महसूस किया है बस तुम्हें!!!!