विदुर नीति योअभ्यर्चितः सद्भिरसज्जमानः करोत्यर्थं शक्तिमहपयित्वा। क्षित्रं यशस्तं समुपैति सन्तमलं प्रसन्ना हि सुखाय सन्तः ।। विदुर जी कहते हैं- जो सज्जन पुरुषों से आदर पाकर, असक्तिरहित हो अपनी शक्ति के अनुसार अर्थ साधन करता है, उस श्रेष्ठ पुरुष को शीघ्र ही सुयश की प्राप्ति होती है, क्योंकि संत जिसपर प्रसन्न होते हैं, वह सदा सुखी रहता है। #vidurniti