हमने छत को टपकने से रोका नहीं है तुम्हें है बरसना तो आकर बरस लो।
उनकी यादों में दिन रात तड़पै हुए हैं। तुम्हें है तड़पना तो आकर तड़प लो।
है गलियों में उनकी समंदर की लहरें ,बहने गए थे बिखर के हैं आए
हैं रिश्ते अधूरे मोहब्बत में मेरे, वो सुनते नहीं है किसको सुनाए
आखिरी साँस तक हम ही रोते रहेंगे तुम्हें भी है रोना तो आकर सिसक लो
उनकी........
करवट लिए याद में मैंने उनकी वो गैरों की यादों के हक़दार हैं
भरते नहीं है ज़ख्म जो हैं दिल के हर मरहम यक़ीनन अब बेकार है #Truth#writersofinstagram#poem#poetrybyManishGupta#MGPlus#LookingDeep#mymgplus#sastaashayar