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हमने छत को टपकने से रोका नहीं है तुम्हें है बरसना

हमने छत को टपकने से रोका नहीं है 
तुम्हें है बरसना तो आकर बरस लो। 
उनकी यादों में दिन रात तड़पै हुए हैं।
 तुम्हें है तड़पना तो आकर तड़प लो। 
है गलियों में उनकी समंदर की लहरें ,बहने गए थे बिखर के हैं आए 
हैं रिश्ते अधूरे मोहब्बत में मेरे, वो सुनते नहीं है किसको सुनाए 
आखिरी साँस तक हम ही रोते रहेंगे 
तुम्हें भी है रोना तो आकर सिसक लो..
करवट लिए याद में मैंने उनकी वो गैरों की यादों के हक़दार हैं 
भरते नहीं है ज़ख्म जो हैं दिल के हर मरहम यक़ीनन अब बेकार है 
दिए ज़ख्म शायद कभी ना भरेंगे,
 तुम्हें भी है देना गले को कतर दो
बंद आँखों से उनकी खामियां भी देखी हरकतें भी देखी नाकामियाँ भी देखी 
हम लड़ते रहे बेवजह दोस्तों से वो कहते रहे तुमने गलतियाँ ना देखी 
आज आसमा भी रोके बरसने लगे हैं ,
तुम्हें है संभलना तो हमसे सबक लो ...

©MG Plus हमने छत को टपकने से रोका नहीं है तुम्हें है बरसना तो आकर बरस लो। 
उनकी यादों में दिन रात तड़पै हुए हैं। तुम्हें है तड़पना तो आकर तड़प लो। 
है गलियों में उनकी समंदर की लहरें ,बहने गए थे बिखर के हैं आए 
हैं रिश्ते अधूरे मोहब्बत में मेरे, वो सुनते नहीं है किसको सुनाए 
आखिरी साँस तक हम ही रोते रहेंगे तुम्हें भी है रोना तो आकर सिसक लो
उनकी........
करवट लिए याद में मैंने उनकी वो गैरों की यादों के हक़दार हैं 
भरते नहीं है ज़ख्म जो हैं दिल के हर मरहम यक़ीनन अब बेकार है
हमने छत को टपकने से रोका नहीं है 
तुम्हें है बरसना तो आकर बरस लो। 
उनकी यादों में दिन रात तड़पै हुए हैं।
 तुम्हें है तड़पना तो आकर तड़प लो। 
है गलियों में उनकी समंदर की लहरें ,बहने गए थे बिखर के हैं आए 
हैं रिश्ते अधूरे मोहब्बत में मेरे, वो सुनते नहीं है किसको सुनाए 
आखिरी साँस तक हम ही रोते रहेंगे 
तुम्हें भी है रोना तो आकर सिसक लो..
करवट लिए याद में मैंने उनकी वो गैरों की यादों के हक़दार हैं 
भरते नहीं है ज़ख्म जो हैं दिल के हर मरहम यक़ीनन अब बेकार है 
दिए ज़ख्म शायद कभी ना भरेंगे,
 तुम्हें भी है देना गले को कतर दो
बंद आँखों से उनकी खामियां भी देखी हरकतें भी देखी नाकामियाँ भी देखी 
हम लड़ते रहे बेवजह दोस्तों से वो कहते रहे तुमने गलतियाँ ना देखी 
आज आसमा भी रोके बरसने लगे हैं ,
तुम्हें है संभलना तो हमसे सबक लो ...

©MG Plus हमने छत को टपकने से रोका नहीं है तुम्हें है बरसना तो आकर बरस लो। 
उनकी यादों में दिन रात तड़पै हुए हैं। तुम्हें है तड़पना तो आकर तड़प लो। 
है गलियों में उनकी समंदर की लहरें ,बहने गए थे बिखर के हैं आए 
हैं रिश्ते अधूरे मोहब्बत में मेरे, वो सुनते नहीं है किसको सुनाए 
आखिरी साँस तक हम ही रोते रहेंगे तुम्हें भी है रोना तो आकर सिसक लो
उनकी........
करवट लिए याद में मैंने उनकी वो गैरों की यादों के हक़दार हैं 
भरते नहीं है ज़ख्म जो हैं दिल के हर मरहम यक़ीनन अब बेकार है
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