कोई तो मकसद होगा उसने जो मुझे जमि पे उतारा है बेवजह तो कुछ होता नहीं जिन्दगी तो जीते हैं सब अपने आप में बेवजह तो कोई किसी के लिए रोता नहीं में क्या हूं ये मेरा कर्म पर निर्भर है जमाने से शिकायत क्या करें बेवजह तो किसी को सर आंखों पर बिठाया नहीं ©Tafizul Sambalpuri बेवजह तो कुछ होता नहीं