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#OpenPoetry कितना खूबसूरत लगता था ये बहार-ए-मौसम,य

#OpenPoetry कितना खूबसूरत लगता था ये
बहार-ए-मौसम,ये फिजायें,ये मस्तानी हवाएं
,ये रिमझिम बारिश की बूंदे,
जब वो कहती थी मेरे बाहों में सो कर।
पर उसके जाने बाद तो ऐसा लगता है
कि ये मौसम,फिजायें,ये हसीं वादियां,ये बारिश की बूंदे
सब गमगीन सा लगता है।। बीती बातें मेरी मोहब्बत की
Preeti Shah Ranjeet Navneet Singh Reshma Jabeen Supriya Pandey
#OpenPoetry कितना खूबसूरत लगता था ये
बहार-ए-मौसम,ये फिजायें,ये मस्तानी हवाएं
,ये रिमझिम बारिश की बूंदे,
जब वो कहती थी मेरे बाहों में सो कर।
पर उसके जाने बाद तो ऐसा लगता है
कि ये मौसम,फिजायें,ये हसीं वादियां,ये बारिश की बूंदे
सब गमगीन सा लगता है।। बीती बातें मेरी मोहब्बत की
Preeti Shah Ranjeet Navneet Singh Reshma Jabeen Supriya Pandey