कभी अश्क़ ने कहा कभी इस दिल ने कहा इस नाचीज़ की दुआ, बैठे थे सज्दे में इस बेज़ुबा आँखो ने मांगा, इस बेज़ुबा दिल ने फ़रियाद किया कि हो मेरी भी मुराद पूरी भर दे मेरी गोद और दे मुझे भी खुशिया सारी नम आंखों से किया सज्दा ऐ रब तुझसे नहीं कोई पर्दा तुझे मेरी भी हो इबादत कुबूल कर माफ़ मेरी भी हर भूल. अब खत्म कर ये इन्तेज़ार कहीं रो-रो न हो जाए ज़ार- ज़ार !! #lovemom❤