जीत-हार आबरू बेआबरू और तार-तार हो गया | दिल रेगज़ारो सा खार- खार हो गया | एक ही शख्स से और उसी अक्स से, इज़हार-ए-मोहब्बत बार-बार हो गया | अश्क जो गीरे नीगाहों से तेरे, दर्द तेरे मेरे दिल के पार-पार हो गया | लौट के आ जा एकबार देख जा, दिल में उदासी ज़ार-ज़ार हो गया | जाना तुम्हारा कुछ यूँ असर कीया, की इस जहाँ से मेरा रार-रार हो गया | हार के तुम्हे मैं खुद भी हारा हूँ, जीतना तुम्हे गले का हार-हार हो गया | RAG The ghazal of RAG #जीत-हार आबरू--इज्जत , रेगज़ार---desert , खार---बंजर , ज़ार---बहुत ज्यादा , रार---झगड़ा #yqdidi #yqbaba #yqquotes #yqhindi #yqghazal #yqshayari