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जिंदगी गुजर रही है जिंदगी को समझने में। कभी औरों स

जिंदगी गुजर रही है जिंदगी को समझने में।
कभी औरों से उलझते हुए,
तो कभी खुद से उलझने में।

एक आँधी आके सबकुछ ले जाती है कुछ लम्हों में 
और जिंदगी लग जाती है
जिंदगी को सुलझने में।

निम्मी

©शब्दकार निम्मी
  #जिंदगी_और_जंग