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इंतजार है इक हाथ की जो हाथ थाम ले हम जिंदगी भर उस

इंतजार है इक हाथ की
जो हाथ थाम ले
हम जिंदगी भर उस
रहनुमा का नाम लें

दरिया में डूबने से
बच जाएंगे अगर
अहसान उसका कैसे
चुकाएंगे उम्र भर

हम इस घड़ी में कैसे
हिम्मत से काम लें

सांसों की डोर टूटती 
रोकूं मैं किस तरह
आवाज किसी किस्ती को
अब दूं मैं किस तरह

बस एक रास्ता है कि
कोई रब मुझे मिले

©Sunil Kumar Maurya Bekhud
  #डूबता हुआ इंसान

#डूबता हुआ इंसान #कविता

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