सिमट गया वो कागज का टूकड़ा बारिश में भीग कर यादें भी धुल गयी मिट कर अाखरी निशानी थी मगर मेरे ज़हन में लिखे पड़े है जो पढ़ें थे मैने रट रटकर कागज का टुकड़ा