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कान्हा जी के आसूं (अनुशीर्षक में पढ़े) भक्ति में

कान्हा जी के आसूं

(अनुशीर्षक में पढ़े) भक्ति में प्रेम होता है और प्रेम में भक्ति।अगर भाव इतनी प्रभावशाली होता है तो सोचो जिनसे भाव की डोरी लग जाती वो रिश्ता कितना ज्यादा प्रभावित करेगा जीवन को।एक ऐसी जोड़ जिसके जुड़ने से सारे रिश्ते जुड़े हुए लगते है और उसके बिना,कुछ अस्तित्व नहीं है कोई रिश्तों की। जो भक्ति के रंग में एक बार रंग चुका उसको सारा दुनिया जिंदगी भर रंगीन लगता है।वो तो दिल में बसता है, कण कण में है उसका अस्तित्व,पर उसे देखने के लिए भक्ति और प्रेम भरा आखों की जरूरत है।

जब रोहिणी की बिदाई हो रही थी कान्हा खूब रोने लगता है
कान्हा जी के आसूं

(अनुशीर्षक में पढ़े) भक्ति में प्रेम होता है और प्रेम में भक्ति।अगर भाव इतनी प्रभावशाली होता है तो सोचो जिनसे भाव की डोरी लग जाती वो रिश्ता कितना ज्यादा प्रभावित करेगा जीवन को।एक ऐसी जोड़ जिसके जुड़ने से सारे रिश्ते जुड़े हुए लगते है और उसके बिना,कुछ अस्तित्व नहीं है कोई रिश्तों की। जो भक्ति के रंग में एक बार रंग चुका उसको सारा दुनिया जिंदगी भर रंगीन लगता है।वो तो दिल में बसता है, कण कण में है उसका अस्तित्व,पर उसे देखने के लिए भक्ति और प्रेम भरा आखों की जरूरत है।

जब रोहिणी की बिदाई हो रही थी कान्हा खूब रोने लगता है

भक्ति में प्रेम होता है और प्रेम में भक्ति।अगर भाव इतनी प्रभावशाली होता है तो सोचो जिनसे भाव की डोरी लग जाती वो रिश्ता कितना ज्यादा प्रभावित करेगा जीवन को।एक ऐसी जोड़ जिसके जुड़ने से सारे रिश्ते जुड़े हुए लगते है और उसके बिना,कुछ अस्तित्व नहीं है कोई रिश्तों की। जो भक्ति के रंग में एक बार रंग चुका उसको सारा दुनिया जिंदगी भर रंगीन लगता है।वो तो दिल में बसता है, कण कण में है उसका अस्तित्व,पर उसे देखने के लिए भक्ति और प्रेम भरा आखों की जरूरत है। जब रोहिणी की बिदाई हो रही थी कान्हा खूब रोने लगता है #yqhindi