हाँ बातें ये संसार की मुझे झूठी लगती है ꫰ बस एक तुम्हारा चेहरा सच्चा ये दुनिया झूठी लगती है ꫰꫰ बनाते तम्हारी तस्वीर शायरी में तुम्हारा नाम लिखते है ꫰ करते नहीं हम मोहब्बत तुमसे मुझे अपनी ये कलम भी झूठी लगती है ꫰꫰ तेरी गली में लोग मुझे मजनू बुलाते है फिर भी वो हमसे मोहब्बत कहाँ करती है ꫰ दूर चले गए वो भी नम आँखे लिए हमको हमारी लैला भी झूठी लगती है ꫰꫰ Jai हाँ झूठी लगती है ꫰ Penned by: Jayesh Gulati . . . . . .