मुबादलें में तुम्हारें, दुनिया की पेशकश थी... भरी अंजुमन में हमे.. आजमाँनें की कोशीश थी.. एहतिमाल न था हमपर.. निजात पाने की तैय्यारी थी.. तवील ए मुद्दत से.. हिज्र से वफादारी थी.. ©अर्चू.. #मुबादला